भाई बहन का त्यौहार ! रक्षा बंधन पर निबंध (Raksha Bandhan Par Nibandh )

Essay on Raksha Bandhan in Hindi l Raksha Bandhan Par Nibandh For Students l Rakhi Par Nibandh

                                                                       (Paragraph, 10 Lines, anuched , Lekh)

raksha bandhan par nibandh


प्रस्थावाना : 
रक्षा बंधन हिंदू धर्म में प्राथमिक उत्सवों में से एक है। इस तथ्य के बावजूद कि भारत में इसकी प्रशंसा की जाती है, यह राष्ट्र के उत्तरी और पश्चिमी भागों के साथ एक स्थान रखने वालों के लिए अद्वितीय संदर्भ रखता है। 
माता-पिता के बाद व्यक्ति का सबसे निकट संबंध भाई और बहन के साथ रहता है । भाई-बहन का प्रेम अत्यंत प्राकृतिक और पवित्र माना जाता है जिसमें किसी प्रकार का स्वार्थया लोभ नहीं रहता । 
इसी पवित्र प्रेम को एक दूसरे के प्रति प्रकट करने के लिए तथा भाई-बहन के बीच राखी का अटूटबंध दर्शाने हैतु रक्षाबंधन के त्योहारकी परंपरा हमारे देश में है ।
रक्षा बंधन का इतिहास 
STORY - 1
रक्षाबंधन की कहानियाँ हमारे देशके-पुराने धर्मग्रंथों में भी मिलती हैं । ऐसा कहा जाता है कि इस त्योहार ने चित्तौड़ की विधवा रानी रानी कर्णावती के बाद लोकप्रियता हासिल की, जब उनकी मदद के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी। इसी प्रकार श्रीकृष्ण और सुभद्रा की कथा, मेवाड़ की महारानी कर्णवती द्वारा हुमायूँ को राखी भेजे जाने की कथा इतिहास के पन्नों पर सुनहरे अक्षरों में अंकित है ।
STORY - 2
एक अन्य प्रसंग के अनुसार, राजा बलि ने इंद्रलोक पर आक्रमण करके सभी देवताओं को हरा दिया और इंद्र के सिंघासन पर कब्ज़ा कर लिया| तब इंद्रदेव की पत्नी ने भगवान् विष्णु की प्रार्थना की| भगवान विष्णु बौना वामन का अवतार लेकर राजा बलि के पास गए| राजा बलि संसार के सबसे बड़े दानी माने जाते थे  
बौना बामन के रूप में भगवान विष्णु ने बलि से तीन पग भूमि देने का वचन लिया| बौना बामन ने तीन पगों में ही धरती, आकाश और पाताल को नाप लिया| इसके बाद बौना बामन ने राजा बलि के सर पर पैर रखकर उन्हें रसातल में भेज दिया| रसातल में बलि ने भगवान विष्णु की कठोर उपासना की और विष्णु जी से वचन लिया कि वह सदैव उनके साथ ही रहें
इस वचन से माता लक्ष्मी परेशान हो गयीं क्यूंकि विष्णु जी आप सदैव बलि के साथ रहने लगे थे| तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांधा और उनसे एक उपहार माँगा| माँ लक्ष्मी ने उपहार में राजा बलि से भगवान् विष्णु को मांग लिया| यह श्रावण मास की पूर्णिमा का ही दिन था तब से रक्षाबंधन मनाने की प्रथा आरम्भ हो गयी|
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कैसे मनाया जाता है रक्षा बंधन ?
हिंदू तिथि-ग्रंथ के अनुसार, रक्षा बंधन श्रावण मास में पड़ता है, जिसे सावन माह कहा जाता है। यह श्रावण मास के सबसे हाल के दिन की प्रशंसा की जाती है जो आमतौर पर अगस्त की अवधि में आती है। सावन का पूरा महीना हिंदू धर्म के अनुसार होनहार माना जाता है।
रक्षा बंधन की प्रशंसा दिन के समय की जाती है। भाई-बहन इस भक्ति दिवस की सराहना करने के लिए अद्भुत प्रकार के कपड़े पहनते हैं। बहनें भाई-बहन के माथे पर तिलक लगाती हैं, उनकी कलाई पर राखी बांधती हैं और मिठाइयां बांटती हैं।
इस रिवाज को करते हुए बहनें अपने भाई-बहनों की समृद्धि के लिए भगवान से अपील करती हैं। भाई-बहन अपनी बहनों को धीरज प्रदान करते हैं और वादा करते हैं कि वे उनके साथ रहेंगे और हर परिस्थिति में उनसे निपटेंगे। राखी बांधने से पहले दो भाई-बहन जल्दी देख लेते हैं। रिवाज पूरा होने के बाद वे बस खाते हैं।
उपसंहार:
अपने देश में कई वर्ष पहले तक राखी के धागों का मूल्य बहुत अधिक था । बहनें पूरी श्रद्धा से भाइयों के लिए मंगल कामना (Well-Wishing) करती थीं और भाई भी अपनी बहन की रक्षा के लिए सदा तत्पर रहते थे । 
एक राखी की लाज रखने के लिए हुमायूँ के दिल में रानी कर्णवती से दुश्मनी भुलाकर उसकी रक्षा करने की भावना पैदा कर दी थी । आज यह पर्व मात्र लेन-देन का माध्यम बन गया है । जरूरत है कि फिर से इस पर्व के लिए पवित्र भावना पैदा हो ।

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