हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाए या इसका मातम - Celebrate Hindi Journalism Day or its mourning



हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाए या इसका मातम


देश में लुप्त होती पत्रकारिता खासकर हिंदी जगत मैं बच्चे कुछ पत्रकार बंधुओं को हिंदी पत्रकारिता दिवस की बधाइयां




लोकतंत्र प्रणाली में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाली पत्रकारिता लुप्त हो गई है !

शहीदे आजम भगत सिंह ने कहा था
 जैसे जैसे लोकतंत्र आगे बढ़ेगा वैसे-वैसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ गिर जाएगा !

और आज वैसा ही देखने को मिल रहा है
 इस चौथे स्तंभ को धीरे - धीरे खत्म कर दिया गया है
और आजकल तो इसके अवशेष ढूंढना भी मुश्किल हो रहा है !




ऐसी स्थिति देश में क्यों आई
 कि आज पत्रकारिता खत्म हो गई है चलो उसकी कुछ चर्चा करते हैं !

मेरा कुछ निजी अनुभव है
इस क्षेत्र में मैंने काम किया है पंजाब केसरी के साथ मैंने रिपोर्टर की भूमिका में जुड़ा रहा
 वहां से कुछ अनुभव लिया है
और जो पत्रकारिता के नाम पर जनता को पागल बना कर अपना व्यापार किया उसको  समझा है !




1. TRP वह विज्ञापन

   यह दो ऐसे शब्द है जो पत्रकारिता के सबसे पहले दुश्मन है !

 जब इनकी लालसा बढ़ती है तो पत्रकारिता कम और व्यापार अधिक होता है !

जब टीआरपी नहीं आएगी तो ऐड नहीं मिलेंगे ऐड नहीं मिलेंगे तो चैनल व संस्था का व्यापार नहीं बढेगा !

कुछ हद तक व्यापार भी जरूरी है लेकिन व व्यापार कभी पत्रकारिता पर हावी न हो इसका ध्यान रखना अति आवश्यक है !




 जिसने पत्रकारिता पर व्यापार हावी हो गया और न्यूज़ दिखाने से पहले यह तय किए जाने लगा कि इसके दिखाने से  कितनी टीआरपी आएगी
तो मान लो वहां पत्रकारिता खत्म हो गई है व सिर्फ एक व्यापार बचा है !

2.  सरकारी तंत्र का दबाव

टीआरपी तक ही खेल नहीं रुकता है
 पिछले कुछ वर्षों से हम देख रहे हैं
कि धीरे-धीरे सरकारी तंत्र पत्रकारिता पर हावी हो रहा है !
यहां तक कि पीएमओ तय कर रहा है कि आज की प्राइम टाइम क्या खबर होगी !




जो चैनल इन की बात नहीं मान रहा है उनके सरकारी ऐड काटे जा रहे हैं
 और अन्य कागज कार्रवाई मैं पेचीदा फसाकर उन्हें मजबूर किया जा रहा है कि वह सरकारी तंत्र की बात माने
और उनके इशारे पर उनका प्रोपेगेंडा का जनता में ढिंढोरा पीटा जाए !

इसलिए कई संस्था तो मजबूरी में सरकार के सामने समर्पित हो जाती हैं
 और कई संस्थाओं में काम करने वाले पत्रकार अपनी नौकरी बचाने के लिए ना चाहते हुए भी सरकार के इस प्रोपेगेंडा प्लान का हिस्सा बन जाते हैं !






3. पत्रकारिता के नाम पर पैसे कमाना

आप देखते होंगे कि टीवी स्टूडियो में काला कोट पहनकर बैठने वाले तथाकथित पत्रकार व एंकर 1 दिन में मालामाल होना चाहते हैं चकाचौंध की दुनिया से बाहर नहीं आना चाहते !
सरकार के सामने समर्पित हो जाते हैं
और कुछ पैसे लेने के लिए सरकार के इशारे पर नाचते हैं और देश की आम जनता में जहर घोलने का काम करते हैं !

आप इन्हें पत्रकारिता नहीं सिर्फ दलाली कह सकते हो
 मेरी नजर में तो यह दलाल भी नहीं है
यह देश के आरोपी हैं इनकी जगह एयर कंडीशन टीवी स्टूडियो में नहीं बल्कि किसी सरकारी जेल में होनी चाहिए!

 जिस प्रकार के जहर आम जनता के बीच में परोसते हैं
वह बड़ा घातक है इनसे बचना होगा नहीं तो हमें विदेशी ताकत नहीं बल्कि अपने यह घोंचू पत्रकार ही बर्बाद कर देंगे !




चाइना या पाकिस्तान का तो पता नहीं लेकिन यह  टीवी चैनल वाले अगर ऐसे ही जनता में जहर  घोलते रहे तो 1 दिन गृह युद्ध जरूर करा देंगे !

अगर आप किसी देश से बिना युद्ध लड़े उसे हराना चाहते हो
और उस देश की  लोकतंत्र कानून प्रणाली को  खत्म करनी हो
तो उसके लिए दो चीजें करनी जरूरी होती हैं !

आप उस देश में धर्म के नाम पर राजनीति शुरू करवा दो !

और दूसरी उस देश के नेताओं के आमजन को फैन बना दो
हिंदुस्तान की परिदृश्य में  अंधभक्त भी कह सकते हैं !
और उस देश की मीडिया को सरकार की आईटी सेल की भूमिका में ला दो!




 अगर आप यह कर पाते हो तो उस देश को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता !

और यह बड़ी विडंबना और दुख की बात है कि हिंदुस्तान इस राहों पर  चल पड़ा है !

उम्मीद करते हैं कि बर्बाद होने से पहले संभल जाएंगे !

एक बार उन काले कोट वाले टीवी एंकर की पत्रकारिता खत्म होने पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं !




और आपसे निवेदन करता हूं कि अगर आप चाहते हो कि देश में अब  और अधिक हालात खराब ना हो
 तो आप इन काले कोट वालों जो टीवी में आकर सरकार की आईटी सेल का काम करते हैं और देश की आम जन में  नफरत व नकारात्मकता भरते हैं
उन्हें पत्रकार समझना बंद कर दो उनका वास्तविक चेहरा एक व्यापारी है
वह पैसे कमाते हैं उसे सिर्फ एक व्यापारी ही समझो 🙏🙏

-
*राहुल पिलानियां*